THIS IS THE NATIONAL RECORD MADE BY NARESH KADYAN
http://cattletrain-firs.blogspot.com/
HE HAS STOPPED & LODGED FIR AGAINST TWO SPECIAL CATTLE TRAINS CARRYING COWS FOR SLAUGHTER TO WEST BENGAL FROM PUNJAB WITH IN 15 DAYS, ON 10-12-2000 FIR LODGED WITH THE GRP, FARIDABAD & ON 28-12-2000 WITH THE GRP, GAZIABAD.
http://parliamentofindia.nic.in/ls/lsdeb/ls10/ses5/0103129203.htm
SHRI GUMAN MAL LODHA: Mr. Speaker, Sir, the hon. Minister in his reply has pointed out that 37 pesticides out of the total pesticides to chemical fertilizers are poisonous. The hon. Minister rightly pointed out that neem seed was being used to overcome such difficulties. In view of this I would like to submit to the hon.
Minister that the ratio of organic and inorganic fertilizer is 1:20, and the price of organic fertiliser is lowerthan that of chemical fertilisers. Keeping these factors in view will the cttle wealth inthe country be utilised? Just as Shrimati Indira Gandhi had written a letter that animal slaughter particularly cow-slaughter should be stopped in States and organic fertilizers should be produced? Will the Government take measuresto closethe slaughter houses particularly in Devnar and Akalovir?
Delhi High Court order about feeding charges 25/- per cow-http://courtnic.nic.in/dhcorder/dhcqrydisp_O.asp?pn=49214&yr=2006
PAY 15/- PER COW IN HARYANA - HIGH COURT
-http://www.tribuneindia.com/2008/20080801/haryana.htm#7
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_5191007.html
लगभग सवा वर्ष पूर्व मेवात के 20 लोगों द्वारा हरियाणा से उतर प्रदेश ले जाए जा रहे 66 बैलों को अब आरोपी पक्ष द्वारा स्थानीय अदालत में पेश करने होंगे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश वी.पी. बिश्रनेई की अदालत ने निचली अदालत के बैलों की सुपरदारी के फैसले को निरस्त करते हुए निचली अदालत को आदेश दिए है कि बैलों को कोर्ट में पेश कराए, लेकिन इसके लिए 2 फरवरी को कोर्ट में बैलों को पेश करने के संबंध में तारीख निर्धारित होगी। यह आदेश पीएफए प्रदेशाध्यक्ष नरेश कादियान द्वारा दायर की गई अपील पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश वी. पी. बिश्रनेई की अदालत द्वारा दिए गए है। पीएफए प्रदेशाध्यक्ष नरेश कादियान, स्वामी ओमस्वरूप व महेन्द्र सिंह टोकस ने संयुक्त रूप से बेरी के पास मेवात के एक धर्म विशेष के 20 लोगों के कब्जे से 66 बैल पकड़कर पुलिस के हवाले किए थे और 20 लोगों के खिलाफ पुलिस में गौकसी के लिए बैलों को उत्तरप्रदेश ले जाने के संबंध में 8 नवम्बर 2007 को मामला दर्ज कराया गया था। बैल हरियाणा के बरवाला से उत्तर प्रदेश ले जाए जा रहे थे। आरोपी पक्ष बैलों के मामले में एसीजेएम की शरण में गया था। एसीजेएम के आदेश पर 12 बैलों की सुपरदारी 15 नवम्बर 2007 को व 43 बैलों की सुपरदारी 16 नवम्बर 2007 को हुई थी। बैलों की सुपरदारी के खिलाफ पीएफए अध्यक्ष नरेश काद्यान की ओर से उनके अधिवक्ता आनंद सिंह कादियान ने सैशन कोर्ट में अपील दायर की थी। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायधीश श्री वी. पी. बिश्रनेई ने अधिवक्ता आनंद कादिंयान द्वारा वर्ष 2002 के एक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार माना। अधिवक्ता आनंद कादियान ने बताया कि अदालत के फैसले के मुताबिक बैल सुपरदारी पर छोड़े जाने की बजाय संस्थाओं के हवाले किए जाने चाहिए थे। अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी पक्ष द्वारा यह हवाला दिया गया था कि बैल कृषि कार्यो के लिए ले जाए जा रहे थे लेकिन जिस समय बैल पकड़े गए उस समय डॉक्टरों की एक 5 सदस्यीय कमेटी ने बैलों के स्वास्थ्य की जांच की थी जो खेती कार्यो के काबिल नहीं पाए गए थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास न तो ट्रांसपोर्ट लाइसेंस था और न ही स्वास्थ्य संबंधी प्रमाण पत्र मिला।
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